सिकंदर-आज़म का पीछे हटना
प्रोफेसर डॉक्टर असलम तासीर अफरीदी ख़ैबर से सटे ओरकज़ई जिले के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ग़िलजो के प्रिंसिपल हैं और यहां के इतिहास के जानकार हैं. उनका कहना है कि ईरान को जीतने के बाद, पख्तूनों के गांधारा प्रांत पर विजय का लक्ष्य रखने वाले सिकंदर-ए-आज़म की सेनाओं को ख़ैबर दर्रे पर सबसे ज़्यादा प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था और फिर अपनी माँ के कहने पर उन्हें अपना रास्ता बदलना पड़ा था. वो कहते हैं कि अफरीदी कबीलों के इस कड़े प्रतिरोध के कारणों का पता लगाने के लिए सिकंदर की मां ने उनसे कहा कि इस क्षेत्र के कुछ निवासियों को दावत पर उनके पास भेजा जाये. अफरीदी कबीलों के ये मुखिया सिकंदर-ए-आज़म की मां के साथ बातचीत में लगे हुए थे, जहां उन्होंने उनसे सवाल किया कि आपमें से मुखिया कौन है. इस पर सभी ने दावा किया कि वही मुखिया है और यह सब आपस में उलझ पड़े. यहीं पर सिकंदर-ए-आज़म की मां को एहसास हो गया, कि जब ये लोग अपनों में से किसी को खुद से बड़ा मानने को तैयार नहीं हैं, तो वे सिकंदर-ए-आज़म को क्या मानेंगे. इमेज स्रोत, GETTY IMAGES मां ने अपने बेटे को सलाह दी कि वह हिन्दुस्तान जाने के लिए ख़ैबर द...