पाकिस्तान: डाकुओं से घिरे बख़्तरबंद गाड़ी में बेबस पुलिसवाले ने बनाया वीडिय
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक वीडियो रविवार को वायरल हो गया. सज्जाद चांडियो का जो वीडियो वायरल हुआ उसे बख़्तरबंद गाड़ी के अंदर रिकॉर्ड किया गया था और बाहर से लगातार गोलियों की आवाज़ आ रही थी.
डाकु 'धछको' से पुलिस पर निशाना लगा रहे थे. पाकिस्तान में स्थानीय भाषा में 12.5 और 12.7 एमएम की एंटी-एयरक्राफ़्ट गन को 'धछको' कहा जाता है.
वीडियो में सज्जाद चांडियो अपने वरिष्ठ अधिकारियों से उन्हें बचाने की गुहार लगा रहे थे और बता रहे थे कि उनके तीन साथी मारे जा चुके हैं जबकि दो अभी जीवित हैं.
इस दौरान उस बख़्तरबंद गाड़ी पर लगातार गोलियाँ लगने की आवाज़ें भी आती रहीं. वीडियो में उन्होंने लाशें भी दिखाईं और कहा कि ये उनका आख़िरी वीडियो है.

बख़्तरबंद गाड़ी ताबूत बन गई'
सज्जाद चांडियो शिकारपुर के एक पुलिस अधिकारी हैं. वे उस बख़्तरबंद गाड़ी में सवार थे, जिसपर पिछले दिनों डाकुओं ने आधुनिक हथियारों से हमला किया था. इस हमले में दो पुलिसकर्मियों और एक फ़ोटोग्राफ़र की मौत हो गई थी.
बीबीसी से बात करते हुए सज्जाद ने कहा कि वे गढ़ी तिग़ानी कैंप में जमा हुए और फिर एक क़ाफ़िले के रूप में कच्चे के लिए रवाना हुए थे. वे बताते हैं कि टीम घेरा बनाकर आगे बढ़ रही थी लेकिन अभी 15 से 20 मिनट ही चले होंगे कि अचानक उनकी बख़्तरबंद गाड़ी पर फ़ायरिंग शुरू हो गई और अचानक एक गोली ड्राइवर के पैर को चीरती हुई गाड़ी के गियर लीवर में लगी जिसके बाद गाड़ी वहीं पर अटक गई. न वो आगे जा रही थी और न ही पीछे. अब वो पूरी तरह से बेबस हो चुके थे और उन पर लगातार फ़ायरिंग हो रही थी.
उन्होंने बताया कि हमले के दौरान बख़्तरबंद गाड़ी का शीशा भी टूट गया और एक रॉकेट गाड़ी के अंदर आ गिरा जिसकी वजह से उनके दो और साथियों की मौत हो गई.
वीडियो बनाने का मक़सद
सज्जाद चांडियो ने बताया कि बख़्तरबंद में संपर्क करने के लिए वॉकी-टॉकी सिस्टम होता है, लेकिन वो भी काम नहीं कर रहा था और उस क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क भी कम थे.
"हमने सोचा कि ये ज़िंदगी का आख़िरी दिन है, इसलिए वीडियो बनाकर अपने पुलिस ग्रुप में भेज दी."
"सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी वापस आए और उन्होंने हमारी बख़्तरबंद गाड़ी से दूसरी बख़्तरबंद गाड़ियों को लगाकर दरवाज़ा खोलने की कोशिश की. जैसे ही दरवाज़ा खुलता फ़ायरिंग तेज़ हो जाती. इस तरह कोशिश करते रहे, तब जाकर उन्हें कामयाबी से रेस्क्यू किया जा सका और जो मर चुके थे, उन्हें वहीं छोड़ दिया गया."
उस घटना के बारे में क्या कहना है सज्जाद का?
वे कहते हैं, "मेरी आँखों के सामने उन साथियों के शरीर के टुकड़े उड़कर गिरे, जिनके साथ मैं पिछले 8-9 साल से काम कर रहा था. ऑपरेशन के दौरान, माँ, बाप या भाई, कोई साथ नहीं होता. पुलिस वाले साथी ही एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं."
शिकारपुर एनकाउंटर में बाल-बाल बचे सज्जाद चांडियो पहले भी कच्चे में डाकुओं के ख़िलाफ़ ऑपरेशन में शामिल रहे हैं.
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