पश्चिम बंगाल: नारदा मामले में गिरफ़्तारियों पर उठते सवालों से तपती राजनीति
क्या राज्यपाल को सरकार की राय के बिना सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति देने का अधिकार है?
इसी मामले में बीजेपी नेता मुकुल राय और विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए शुभेंदु अधिकारी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है?
पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग मामले की जाँच कर रही सीबीआई के हाथों एक विधायक, दो मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर और ममता बनर्जी की पिछली सरकार में मंत्री रहे शोभन चटर्जी की गिरफ़्तारी के बाद राजनीतिक और क़ानूनी हलक़ों में यही दोनों सवाल सबसे ज़्यादा पूछे जा रहे हैं.
लेकिन 24 घंटे से ज़्यादा समय बीतने के बाद भी कहीं से इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिला है.
सीबीआई ने जिस तरह टीएमसी के इन चारों नेताओं को उनके घर से उठाया, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं.
राजनीतिक हलक़ों में पूछा जा रहा है कि क्या ये लोग ऐसे अपराधी थे, जो गिरफ़्तारी की भनक मिलते ही फ़रार हो सकते थे?
उनको समन भेज कर सीबीआई दफ़्तर भी तो बुलाया जा सकता था. इस सवाल पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बीजेपी भले अलग-अलग दलीलें दे रहे हों, केंद्रीय जाँच एजेंसी ने इसका कोई ठोस जवाब नहीं दिया है.
सीबीआई नारदा मामले के पहले से ही चिटफ़ंड घोटाले समेत कुछ मामलों की जाँच कर रही है. लेकिन ऐ
से किसी भी मामले में पहले ऐसी सक्रियता देखने को नहीं मिली है.
कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला
सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों नेताओं की अंतरिम ज़मानत मंज़ूर कर ली थी.
लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर स्थगन आदेश दे दिया. उसके बाद इन लोगों को प्रेसीडेंसी जेल ले जाया गया.
देर रात तबीयत ख़राब होने के बाद मदन मित्र और फ़िरहाद हकीम को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में दाख़िल कराया गया है.
हाई कोर्ट बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगा. इस बीच, इन चारों नेताओं ने भी हाई कोर्ट के फ़ैसले पर पुनर्विचार की अपील की है.
कैसे हुई गिरफ़्तारी
वर्ष 2016 के नारदा स्टिंग मामले की जाँच कर रही सीबीआई की एक टीम सोमवार सुबह केंद्रीय बलों के साथ ममता सरकार में मंत्री फ़िरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और टीएमसी विधायक मदन मित्र के अलावा कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी के घर पहुँची और उनको अपने दफ़्तर ले आई.
वहाँ उन चारों को गिरफ़्तार कर लिया गया. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हाल में इन नेताओं के ख़िलाफ़ सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति दी थी.
पार्टी के नेताओं की गिरफ़्तारी की ख़बरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुँच गईं.
ममता की दलील थी कि इन नेताओं की गिरफ़्तारी ग़ैरक़ानूनी है. इसकी वजह यह है कि इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी से अनुमति नहीं ली गई है.
टीएमसी ने भी इन गिरफ़्तारियों को ग़ैरक़ानूनी और राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया था. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बिना किसी नोटिस के इनकी गिरफ़्तारी ग़ैरक़ानूनी है.
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