जामनगर एयरबेस से इसराइल और भारत, पाकिस्तान का परमाणु संयंत्र नष्ट करना चाहते थे?
बीते दिनों मध्यपूर्व में इसराइल और फ़लस्तीनी समूह हमास के बीच हिंसक झड़प के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और हज़ारों लोग बेघर हो गए.
इसराइल ने संघर्ष विराम की स्थिति को भांपते हुए हमास और उसके कैंप को ज़्यादा से ज़्यादा नुक़सान पहुंचाने की रणनीति पर काम किया.
इस दौरान ऑनलाइन की दुनिया में एक्सपर्ट लगातार इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि भारत को भी चरमपंथियों पर क़ाबू पाने के लिए इसराइली और मोसाद मॉडल को अपनाना चाहिए.
लेकिन सवाल यह है कि क्या इसराइल ने ऐसी किसी मदद की पेशकश की थी? क्या इस अभियान के लिए गुजरात की ज़मीन का इस्तेमाल होना था? क्या पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने का मौक़ा भारत ने कई बार गंवा दिया? और क्या पाकिस्तान के परमाणु संयंत्र को नष्ट करने में इसराइल की कोई दिलचस्पी थी?

इराक़ में इसराइली दख़ल
7 जून, 1981 को इसराइली वायुसेना तीन विरोधी देशों की सीमाओं में चीरते हुए इराक़ में दाख़िल हुई और ओसिरक में निर्माणाधीन परमाणु संयंत्र को नष्ट कर दिया था.
इस हमले के लिए इसराइल के आठ एफ़-16 विमान और दो एफ़-15 विमानों ने मिस्र के सिनाई रेगिस्तान स्थित एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी. तब इस एयरपोर्ट पर इसराइल का क़ब्ज़ा था.
ये विमान सऊदी अरब और जॉर्डन की हवाई सीमाओं में महज़ 120 मीटर की ऊंचाई पर उड़े थे. इन विमानों के अतिरिक्त फ्यूल टैंक भी रखे गए थे जिन्हें सऊदी अरब के रेगिस्तानी इलाके में फेंकना पड़ा था.
इराक़ी सीमा में प्रवेश करने के बाद इसराइली विमानों ने 30 मीटर की ऊंचाई पर उड़ना शुरू कर दिया था ताकि वे रडार की पकड़ में नहीं आ सकें. शाम के साढ़ पांच बजे इन विमानों से 20 किलोमीटर की दूरी से अलग-अलग दिशाओं से उड़ान भरी और 2,130 मीटर की ऊंचाई तक गए.
इसके बाद वे ओसिरक के परमाणु संयंत्र के गुंबद की ओर 1100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़े.
फ्रांसीसी डिज़ाइन में तैयार संयंत्र इन धमाकों में नष्ट हो गया. इराक़ की एंटी-एयरक्राफ्ट बंदूक़ों ने गरजना शुरू किया लेकिन तब तक इसराइली विमान 12,000 फ़ीट की ऊंचाई पर पहुंचकर वापस लौट चुके थे.
कोई भी इराक़ी विमान, इसराइली विमानों का पीछा नहीं कर सका. जब इसराइली विमान अपने देश लौटे तब उनके टैंकों में 450 लीटर ईंधन बचा हुआ था जिससे विमान 270 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते थे.
इस हमले में 11 सैनिकों और एक फ्रांसीसी नागरिक के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि हुई थी.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इसराइली हमले की निंदा की थी. दूसरी ओर, इसराइल ने इराक़ में परमाणु संयंत्र के निर्माण में मदद करने के लिए फ़्रांस और इटली की आलोचना की थी.
लेकिन इसराइल के ख़िलाफ़ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई थी. लेकिन इस हमले से दुनिया भर के सिक्योरिटी एक्सपर्ट हैरान रह गए थे.
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